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इस्लामी कानून के तहत, जज़िया एक प्रतिव्यक्ति कर है, जिसे एक इस्लामिक राष्ट्र द्वारा इसके गैर मुस्लिम पुरुष नागरिकों पर जो कुछ मानदंडों को पूरा करते हों, पर लगाया जाता है। यह कर उन गैर मुस्लिम योग्य या स्वस्थ शरीर वाले वयस्क पुरुषों पर लगाया जाता है/था जिनकी आयु सेना मे काम करने लायक हो/होती थी साथ ही वो इसे वहन करने मे सक्षम हों/होते थे। कुछ अपवादों को छोड़कर, लेकिन कई बार इसे सभी गैर मुस्लिमों पर बिना किसी शर्त के लगाया गया है।

जजिया कर की शुरूवात तो मुहम्मद बिन कासिम ने ही की थी , तो सल्तनतकालीन किसी भी सुल्तान द्वारा इस कर की शुरूवात का प्रश्न अनिर्धार्य है जहां तक प्रश्न है फिरोजशाह तुगलक का तो वह पहला शासक था जिसने ब्राह्मणों पर भी यह शुल्क प्रारम्भ

मुस्लिम शासकों ने ज़िम्मियों के साथ सहिष्णुतापूर्वक व्यवहार किया और उन्हें अपने धर्म का पालन करने की इजाज़त दी। इस संरक्षण के बदले और अधीनता के रूप में ज़िम्मियों को एक ख़ास व्यक्ति कर चुकाना आवश्यक था, जो जज़िया कहलाया।

ब्राह्माणो पर भी जजिया लगान वाला दिल्ली सुल्तान कौन था
फिरोज तुगलक

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