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रोज़ अख़बारों में राष्ट्रपित, प्रधानमंत्री, अन्य मंत्रियों, राजनितिक पार्टियों, जाने-माने अखबारों के संपादकों और कुछ अन्य प्रतिष्ठिति लोगों की भ्रष्टाचार परलम्बी-चौड़ी भाषण सुनते हैं लेकिन वे उसे मिटाने के लिये सतही धरातल पर कोई काम नहीं करते |
भारत सरकार द्वारा अखिल-भारत एवं अंतरराज्य में विभाजित भारत की सुरक्षा, उच्च स्थानों पर भ्रष्टाचार, गम्भीर छल, धोखाधड़ी एवं हेराफेरी एवं सामाजिक अपराधों विशेषकर आवश्यक जिंसों की जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी जैसे गम्भीर अपराधों का अन्वेषण करने की दृष्टि से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का गठन किया गया।
जब किसी गाँव के बिजली का ट्रांसफार्मर जल जाता है तो बिना घूस खिलाये या धरना-प्रदर्शन किये बिना विद्युत विभाग काम नहीं करता, लेकिन भ्रष्टाचार पर लगाम लगते ही किसी भी आम जनता की विद्युत विभाग में एक फ़ोन ही काफी होगा और एक दिन में ट्रांसफार्मर लग जायेगा, या पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस द्वारा घूस माँगने पर दूसरे दिन ही उसकी छुट्टी हो जाएगी |
सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी)
सीवीसी को सीधे पत्र लिखकर शिकायत की जा सकती है। सीवीसी की वेबसाइट www.cvc.nic.in पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।
फोन: 011-2465 1001-08
अधिकार क्षेत्र में आनेवाले मंत्रालय/विभाग
केंद्र सरकार के मंत्रालय/विभाग, केंद्र सरकार के सभी पीएसयू, नैशनलाइज्ड बैंक, रिजर्व बैंक, नाबार्ड और सिडबी, सरकारी बीमा कंपनियां, पोर्ट ट्रस्ट व डॉक लेबर बोर्ड आदि। इसके अलावा दिल्ली, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, पांडिचेरी आदि समेत सभी केंद्र शासित प्रदेश।
जांच के दायरे में आनेवाले अधिकारी
रोज़ अख़बारों में राष्ट्रपित, प्रधानमंत्री, अन्य मंत्रियों, राजनितिक पार्टियों, जाने-माने अखबारों के संपादकों और कुछ अन्य प्रतिष्ठिति लोगों की भ्रष्टाचार परलम्बी-चौड़ी भाषण सुनते हैं लेकिन वे उसे मिटाने के लिये सतही धरातल पर कोई काम नहीं करते |
भारत सरकार द्वारा अखिल-भारत एवं अंतरराज्य में विभाजित भारत की सुरक्षा, उच्च स्थानों पर भ्रष्टाचार, गम्भीर छल, धोखाधड़ी एवं हेराफेरी एवं सामाजिक अपराधों विशेषकर आवश्यक जिंसों की जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी जैसे गम्भीर अपराधों का अन्वेषण करने की दृष्टि से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का गठन किया गया।
जब किसी गाँव के बिजली का ट्रांसफार्मर जल जाता है तो बिना घूस खिलाये या धरना-प्रदर्शन किये बिना विद्युत विभाग काम नहीं करता, लेकिन भ्रष्टाचार पर लगाम लगते ही किसी भी आम जनता की विद्युत विभाग में एक फ़ोन ही काफी होगा और एक दिन में ट्रांसफार्मर लग जायेगा, या पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस द्वारा घूस माँगने पर दूसरे दिन ही उसकी छुट्टी हो जाएगी |
सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी)
सीवीसी को सीधे पत्र लिखकर शिकायत की जा सकती है। सीवीसी की वेबसाइट www.cvc.nic.in पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।
फोन: 011-2465 1001-08
अधिकार क्षेत्र में आनेवाले मंत्रालय/विभाग
केंद्र सरकार के मंत्रालय/विभाग, केंद्र सरकार के सभी पीएसयू, नैशनलाइज्ड बैंक, रिजर्व बैंक, नाबार्ड और सिडबी, सरकारी बीमा कंपनियां, पोर्ट ट्रस्ट व डॉक लेबर बोर्ड आदि। इसके अलावा दिल्ली, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, पांडिचेरी आदि समेत सभी केंद्र शासित प्रदेश।
जांच के दायरे में आनेवाले अधिकारी
सीवीसी अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले संगठनों में तैनात अधिकारियों की कुछ श्रेणियों के खिलाफ ही जांच कर सकता है, जो इस प्रकार हैं:
केंद्रीय सरकारी मंत्रालय/विभाग: ग्रुप ए और उससे ऊपर के अधिकारी (अंडर सेक्रेटरी और इससे ऊपर के अधिकारी)
पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू): बोर्ड लेवल और उससे दो लेवल नीचे तक के अधिकारी
पब्लिक सेक्टर के बैंक: स्केल V और इससे ऊपर के अधिकारी
रिजर्व बैंक, सिडबी और नाबार्ड: ग्रेड डी या इससे ऊपर के अधिकारी
बीमा क्षेत्र: असिस्टेंट मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी
जीवन बीमा निगम: सीनियर डिविजनल मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी
स्वायत्त निकाय: 8700 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी
पोर्ट ट्रस्ट/डॉक लेबर बोर्ड: 10,750 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी
सीवीसी के काम
- ऐसे किसी भी लेन-देन के मामले में जांच करना या कराना, जिसमें केंद्र सरकार के अधीन अधिकारी के शामिल होने का शक हो।
- केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों और उसके नियंत्रण में आनेवाले दूसरे संगठनों के सतर्कता और भ्रष्टाचार निवारण संबंधी कामों की सामान्य जांच और निगरानी करना।
- विजिलेंस संबंधी मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष सलाह देना।
- भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को सामने लाना और उस पर उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।
- सीबीआई और एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट के अलावा दिल्ली की स्पेशल सेल के उच्च अधिकारियों की चयन समितियों की अध्यक्षता करना।
- सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले अधिकारियों और संगठनों के खिलाफ की गई भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की जांच सीबीआई या संबंधित संगठन के चीफ विजिलेंस ऑफिसर द्वारा कराई जाती है।
- टेंडरों के खिलाफ शिकायतों के बारे में सीवीसी संबंधित विजिलेंस ऑफिसर के माध्यम से जांच कराता है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता। सीवीओ की रिपोर्ट के आधार पर ही सीवीसी मामले में आगे कार्रवाई करता है।
यदि सीबीआई को किसी प्रमाणिक सूचनाकर्ता से किसी इच्छुक रिश्वत देने वाले या रिश्वत लेने वाले के संबंध में रिश्वत सौंपे जाने से पहले ही सूचना प्राप्त होती है तो वह वैसी सूचना का सत्यापन कर रिश्वत देने वाले और रिश्वत लेने वाले दोनों को रंगे हाथों पकड़ने हेतु ट्रैप बिछाती है।
किसी लोक सेवक द्वारा आमदनी के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखना या खर्च करना भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 13 के तहत दंडनीय है। सीबीआई जनता से वैसे लोक सेवकों की संपत्तियों एवं खर्चे का विशिष्ट विवरण उपलब्ध कराने हेतु निवेदन करती है। सामान्य एवं अस्पष्ट सूचना उपलब्ध कराने से कोी मदद
नहीं मिलती है। वैसी विशिष्ट विवरण प्राप्त होने पर सीबीआई उसकी गोपनीय सत्यापन करता है और यदि सूचना सत्य पाई जाती है तो आपराधिक मामला दर्ज कर वैसे लोक सेवकों के परिसर पर छापा मारता है।
Himachal Pradesh सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए टोल फ्री नंबर 0177-2629893 की सुविधा दी है।
कोई भी ग्राहक या गैर-सरकारी संगठन कम वजन तौलने या नापने की लिखित शिकायत स्टैंर्डड्स ऑफ वेट्स ऐंड मेजर्स (एनफोर्समेंट) ऐक्ट 1985 के तहत कर सकता है।
केंद्रीय सरकारी मंत्रालय/विभाग: ग्रुप ए और उससे ऊपर के अधिकारी (अंडर सेक्रेटरी और इससे ऊपर के अधिकारी)
पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू): बोर्ड लेवल और उससे दो लेवल नीचे तक के अधिकारी
पब्लिक सेक्टर के बैंक: स्केल V और इससे ऊपर के अधिकारी
रिजर्व बैंक, सिडबी और नाबार्ड: ग्रेड डी या इससे ऊपर के अधिकारी
बीमा क्षेत्र: असिस्टेंट मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी
जीवन बीमा निगम: सीनियर डिविजनल मैनेजर और इससे ऊपर के अधिकारी
स्वायत्त निकाय: 8700 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी
पोर्ट ट्रस्ट/डॉक लेबर बोर्ड: 10,750 रुपये या ज्यादा बेसिक सैलरी पानेवाले अधिकारी
सीवीसी के काम
- ऐसे किसी भी लेन-देन के मामले में जांच करना या कराना, जिसमें केंद्र सरकार के अधीन अधिकारी के शामिल होने का शक हो।
- केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों और उसके नियंत्रण में आनेवाले दूसरे संगठनों के सतर्कता और भ्रष्टाचार निवारण संबंधी कामों की सामान्य जांच और निगरानी करना।
- विजिलेंस संबंधी मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष सलाह देना।
- भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को सामने लाना और उस पर उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।
- सीबीआई और एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट के अलावा दिल्ली की स्पेशल सेल के उच्च अधिकारियों की चयन समितियों की अध्यक्षता करना।
- सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले अधिकारियों और संगठनों के खिलाफ की गई भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की जांच सीबीआई या संबंधित संगठन के चीफ विजिलेंस ऑफिसर द्वारा कराई जाती है।
- टेंडरों के खिलाफ शिकायतों के बारे में सीवीसी संबंधित विजिलेंस ऑफिसर के माध्यम से जांच कराता है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता। सीवीओ की रिपोर्ट के आधार पर ही सीवीसी मामले में आगे कार्रवाई करता है।
यदि सीबीआई को किसी प्रमाणिक सूचनाकर्ता से किसी इच्छुक रिश्वत देने वाले या रिश्वत लेने वाले के संबंध में रिश्वत सौंपे जाने से पहले ही सूचना प्राप्त होती है तो वह वैसी सूचना का सत्यापन कर रिश्वत देने वाले और रिश्वत लेने वाले दोनों को रंगे हाथों पकड़ने हेतु ट्रैप बिछाती है।
किसी लोक सेवक द्वारा आमदनी के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखना या खर्च करना भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 13 के तहत दंडनीय है। सीबीआई जनता से वैसे लोक सेवकों की संपत्तियों एवं खर्चे का विशिष्ट विवरण उपलब्ध कराने हेतु निवेदन करती है। सामान्य एवं अस्पष्ट सूचना उपलब्ध कराने से कोी मदद
नहीं मिलती है। वैसी विशिष्ट विवरण प्राप्त होने पर सीबीआई उसकी गोपनीय सत्यापन करता है और यदि सूचना सत्य पाई जाती है तो आपराधिक मामला दर्ज कर वैसे लोक सेवकों के परिसर पर छापा मारता है।
Himachal Pradesh सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए टोल फ्री नंबर 0177-2629893 की सुविधा दी है।
कोई भी ग्राहक या गैर-सरकारी संगठन कम वजन तौलने या नापने की लिखित शिकायत स्टैंर्डड्स ऑफ वेट्स ऐंड मेजर्स (एनफोर्समेंट) ऐक्ट 1985 के तहत कर सकता है।
3 comments:
आय से अधिक सम्पत्ति की सिकायत करने पर हमे क्या मिलेगा
आय से अधिक सम्पति की शिकायत कहा करे और क्या करना पड़ता है
राजस्थान मे
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