1947 से आज तक का इनकम टैक्स जमा करो इनकम टैक्स अधिकारी कभी भी पूछ सकते हैं हिसाब

 1947 से आज तक का इनकम टैक्स जमा करो इनकम टैक्स अधिकारी कभी भी पूछ सकते हैं हिसाब इसे पढ़ते ही कुछ लोगों को शीघ्रपतन हो गया दिल क़पा देने वाली ख़बर मोदी ने कहा 1947 से आज तक का टैक्स जमा करवाओ वरना जेल जाओ

राजनीतिक पार्टियां को मिलने वाले डोनेशन और उस पर नोटबंदी का असर, वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं।

कल Reuters ने एक ट्वीट किया कि "सरकार ने राजनीतिक पार्टियों को पुराने नोट में चंदा/डोनेशन ले कर बैंक में जमा करने को इनकम टैक्स एक्ट में Exempt किया है" कुछ लोग इसे ये समझ बैठे की सरकार ने पोलिटिकल पार्टीज को 500-1000 के नोट लेने और बैंक में जमा करने की छूट दे दी है, जिबकी छूट सिर्फ टैक्स में है ना की नोटबंदी में ।
इसे पढ़ते ही कुछ लोगों को शीघ्रपतन हो गया, बोले तो Premature Ejaculation, ये वही लोग हैं जो डींगें तो बड़ी बड़ी हांकते पर किसी काम के नहीं, खैर ..
अब क्योंकि ट्विटर में शब्दों की सीमा है इसलिए एक ही ट्वीट में सारी जानकारी नहीं दी जा सकती और न ही डिटेल में बताया जा सकता है, तो Reuters का दूसरा ट्वीट आया की यह Exemption 8 नवम्बर से पहले के चंदे/ डोनेशन पर मान्य होगा ।

यानि जो नियम हम सब के लिए है वही राजनीतिक पार्टियों के लिए भी लागू रहेगा, जैसे हम और आप सिर्फ 8 नवम्बर से पहले 500-1000 के नोट ले सकते थे वैसे ही वे भी ले सकतीं हैं, और बैंक में जमा कर सकतीं हैं ।

संविधान के इनकम टैक्स एक्ट की धारा 13A में सभी पोलिटिकल पार्टीज़ को इनकम टैक्स से Exempt रखा गया है, यानि इन्हें कोई टैक्स नहीं देना होता, लेकिन फिर भी इन्हें हर साल आपकी ही तरह इनकम टैक्स रिटर्न भरने अनिवार्य है, अभी तक इस धारा में कितना चंदा/डोनेशन नगद लिया जा सकता है इसकी कोई सीमा तय नहीं थी, यानि अगर कोई पोलिटिकल पार्टी कहे की उसे 100 करोड़ का नगद चंदा मिला तो कानून सरकार को यह बात माननी पड़ती थी ।

कल मोदी सरकार ने इस लूपहोल पर शिकंजा कसते हुए लिमिट 20,000 कर दी, मलतब अब कोई भी दल 20000 से ज़यदा का नगद चंदा लेना नहीं दिखा सकता, अब सवाल उठता है पूरा ही बैन क्यों नहीं कर दिया, तो इसके लिए कानून में संशोधन करना पड़ता यानि फिर वही लोकसभा और राज्यसभा के चक्कर, जिबकी लिमिट तय करना पालिसी मैटर में आता है और सरकार इसके लिए Empowered है ।

तो कुछ समझ में आया मित्रों, जो चोरी का रास्ता खुल छोड़ा गया था 1947 के बाद से आज तक उस पर मोदी ने चौकीदार बैठा दिया है, और हर नगद चंदे का हिसाब जैसे की देने वाले का नाम पता इनकम टैक्स अधिकारी कभी भी पूछ सकते हैं ।


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