जानिये लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत क्यों बने पीएम मोदी के फेवरेट


रावत 1978 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे।
33 साल पुरानी परंपरा को तोड़ जनरल विपिन रावत को थलसेना का प्रमुख बनाया है लेकिन आप जानतें है आखिर ऐसा क्यों किया गया और इसके पीछे क्या कारण है। जानकारों की माने तो लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की सेना में वरिष्ठता के आधार पर वरीयता नहीं दी गई है। चलिए आपको बतातें हैं क्यों आखरी लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को पीएम मोदी भी इतना पसंद करते हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत 1978 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ की गई सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही सुर्खियों में आ गए थे
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्टाइक में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के पास चीन,पाकिस्तान और पुर्वोत्तर सीमा में घुसपैठ रोधी अभियानों में दस साल तक कार्य करने का बेहतरीन अनुभव है।
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में म्यांमार में घुसकर नगा आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया था और 38 नगा आतंकीयो को मौत के घाट उतार दिया था।
आपको बता दें कि बिपिन रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। उनकी पढ़ाई लिखाई शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। उसके बाद 1978 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून से ग्रेजुएशन किया और यहां उन्होंने स्वोर्ड ऑफ ऑनर हासिल किया। 1978 के दिसंबर में बिपिन रावत की सेना में एंट्री हुई और उनको गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में जगह मिली। इसलिए माना जा रहा है कि वे दोनों सीमाओं की चुनौतियों से निपटने में सफल रहेंगे।

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