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तरबूज की उन्नत खेती कैसे करें | तरबूजा एक कुकरविटेसी परिवार की गर्मियों की सब्जी तथा फल होता है जोकि गर्मी में पैदा किया जाता है । यह फसल उत्तरी भारत के भागों में अधिक पैदा की जाती है । खेती से करोड़पति कैसे बने, पैसे कैसे कमाए

तरबूज के फायदे

तरबूज का गूदा लें और इसे "ब्लैक हैडस" के प्रभावित एरिया पर आहिस्ता-आहिस्ता रगड़ें। १० मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।

अपचन, भूख बढ़ाने तथा खून की कमी में यह प्रयोग काम में लाएँ। एक बड़े तरबूज में थोड़ा-सा छेद करके २०० ग्राम चीनी भर दें। ४-५ दिन तक उस तरबूज को दिन में धूप में तथा रात में चन्द्रमा की रोशनी में रखें। उसके बाद अंदर से पानी निचोड़ लें और छानकर काँच की साफ बोतल में  भर लें। यह तरल पदार्थ चौथाई कप की मात्रा में दिन में दो से तीन मर्तबा पीने से उपरोक्त तकलीफों में अत्यंत लाभ होता है। 

पागलपन, दिमागी गर्मी, हिस्टीरिया, अनिद्रा रोगों में तरबूज का गूदा ४० मिनट के लिए सिर पर रखना फायदेमंद होता है।

तरबूज में विटामिन ए, बी, सी तथा लौहा भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिससे रक्त सुर्ख व शुद्ध होता है।

सूखी खाँसी में तरबूज खाने से खाँसी का बार-बार चलना बंद होता है।

तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।

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खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता।

जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती है, उनके लिए तरबूज का सेवन करना अच्छा रहता है, क्योंकि इसके खाने से आँतों को एक प्रकार की चिकनाई मिलती है।

तरबूज खाने के नुकसान

हॉर्ट की प्रॉब्लम से घिरे लोगों को तरबूज का सेवन करने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि तरबूज में भारी मात्रा में पोटेशियम होता है। डॉक्टर सैनी का कहना है कि हॉर्ट की प्रॉब्लम से घिरे लोगों को तरबूज का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे हॉर्ट की प्रॉब्लम और बढ़ जाती है।

डायबिटीज के रोगियों को अपने खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है। तरबूज में भारी मात्रा में नेचुरल शुगर होता है। ऐसे में अगर शुगर के मरीज तरबूज का ज्यादा सेवन करेंगे तो उनके ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाएगी।

अस्थमा के मरीजों के लिए ज्यादा तरबूज का सेवन सही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि असथमा में अमीना एसिड होता है। अगर रोगी ज्यादा तरबूज का सेवन करेंगे तो अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

किडनी की समस्या से घिरे लोगों को इसलिए तरबूज का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें मिनरल्स की मात्रा अधिक होती है।

तरबूज में इंजेक्शन

आजकल बाजार में मिलावटी तरबूज भी मिल रहा है।

तरबूज को मोटा और लाल बनाने के लिए कई हानिकारक चीजों का इस्तेमाल भी करते हैं। ऐसे तरबूजों के जरिए हानिकारक केमिकल शरीर में पहुंच सकते हैं।

इनमें ऑक्सिटॉक्सिन, सोडियम सैकरिन और सिन्थेटिक रंगों का इस्तेमाल शामिल है।

छिलके के अंदरूनी हिस्से का रंग हल्का सफेद या हरा-सा हो तो यह नैचरल तरीके से पका हुआ होगा। अगर वहां भी लाली दिखाई पड़े तो मान लेना चाहिए कि उसमें सिन्थेटिक रंग का इस्तेमाल किया गया है।

तरबूज के बीज भी गुणकारी
 
तरबूज के बीजों को छीलकर अंदर की गिरी खाने से शरीर में ताकत आती है। मस्तिष्क की कमजोर नसों को बल मिलता है, टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है।  

बीजों की गिरी में मिश्री, सौंफ, बारीक पीसकर मिलाकर खाने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है।

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